MAHARASHTRA मिलिंद देवड़ा बोले- सरकार बनी तो 100% शिंदे होंगे CM

कांग्रेस-शिवसेना का गठबंधन ही गलत, आदित्य ठाकरे के खिलाफ नहीं बोलूंगा

‘कांग्रेस और शिवसेना (UBT) का साथ आना ठीक नहीं था। मुझे 2019 में भी पता था कि कन्फ्यूजन होने वाला है। मैंने सलाह दी थी कि ये पूरी तरह गलत गठबंधन है।’
MAHARASHTRA में कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के गठबंधन को गलत बता रहे मिलिंद देवड़ा कभी कांग्रेस का हिस्सा थे। अब शिवसेना (शिंदे गुट) में हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता मुरली देवड़ा के बेटे मिलिंद सांसद और सेंट्रल मिनिस्टर रह चुके हैं। अभी राज्यसभा सांसद हैं। इस बार साउथ मुंबई की वर्ली सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। मुकाबला उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे से है।
MAHARASHTRA ठाकरे और देवड़ा परिवार महाराष्ट्र की सबसे मजबूत पॉलिटिकल फैमिली में शामिल हैं। दोनों परिवारों के अच्छे रिश्ते हैं। यही वजह है कि मिलिंद देवड़ा कह रहे हैं कि वे आदित्य ठाकरे के खिलाफ नहीं बोलेंगे। साथ ही वे दावा करते हैं कि महायुति की सरकार बनी तो एकनाथ शिंदे दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे।
MAHARASHTRA चुनाव की कवरेज के दौरान मिलिंद देवड़ा से बात की। उनसे कांग्रेस छोड़ने, शिवसेना (शिंदे गुट) जॉइन करने और सांसद रहते हुए विधानसभा चुनाव लड़ने की वजह पूछी। ये भी पूछा कि आदित्य ठाकरे से मुकाबले को कैसे देख रहे हैं। पढ़िए और देखिए पूरा इंटरव्यू।
सवाल: आप और आदित्य ठाकरे दोनों पॉलिटिकल फैमिली से आते हैं। चुनावी लड़ाई को कैसे देखते हैं?
जवाब: मेरे परिवार का ठाकरे फैमिली से बहुत पुराना संबंध है। मेरे पिता और स्वर्गीय बाला साहेब अलग पार्टियों और विचारधाराओं के थे, लेकिन दोनों के बीच गहरा लगाव था। मैं 2004 से लगातार चुनाव लड़ रहा हूं। आज तक मैंने न तो राजनीति और न ही चुनाव को व्यक्तिगत बनाया है।
मैं नहीं मानता कि कोई भी चुनाव व्यक्तिगत होना चाहिए। निजी लड़ाइयां आप घर में या बाहर लड़िए। चुनाव लड़ते हुए आप जनता से वोट मांगते हैं, तो मुद्दे आम लोगों से जुड़े होने चाहिए। व्यक्तिगत स्तर पर चुनाव लड़ने वाले लोग स्वार्थ के लिए चुनाव लड़ते हैं।
सवाल: आदित्य ठाकरे के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला आपका था या फिर पार्टी का आदेश है?
जवाब: पार्टी में सभी नेताओं ने साथ बैठकर तय किया है। वर्ली से विधायक या सांसद का चुनाव लड़ने में फर्क है। लोकसभा और राज्यसभा में भी एक फर्क होता है। मैं वैसा नेता नहीं हूं कि जहां रहता हूं, उसे छोड़कर दूसरे इलाके से चुनाव लडूं। कुछ ऐसे लोग हैं, जो दिल्ली में रहते हैं, लेकिन चुनाव कहीं और से लड़ते हैं।
साउथ मुंबई मेरी जन्मभूमि और कर्मभूमि है। यहां की दिक्कतें क्या हैं, मैं 40 साल से समझता हूं। लोगों के साथ हमारे घर जैसे संबंध हैं। मैं सांसद नहीं था, तब भी मेरे घर रोज 50-100 लोग आते थे।
सवाल: 27 साल की उम्र में आप लोकसभा पहुंच गए, फिर केंद्र में मंत्री बने। कांग्रेस ने आपको सब कुछ दिया, फिर उससे क्या नाराजगी थी?
जवाब: ये सब 10 महीने पुरानी बातें हैं। बाहर से लोग नेताओं को विचारधारा के नजरिए से देखते हैं। मेरा फोकस आइडियोलॉजी से ज्यादा आइडियाज पर है। लोग विचारधारा बदलते रहते हैं, लेकिन विचार ज्यादा जरूरी हैं। मेरे पिता और बाला साहेब दोनों ने कभी नहीं सोचा होगा कि शिवसेना और कांग्रेस का गठबंधन होगा।

किसी भी संगठन में काम करते हुए लगता है कि आपकी पूछ-परख नहीं हो रही है, तो सेल्फ डाउट होता कि मुझमें क्या कमी है।
सवाल: सिंधिया और आरपीएन सिंह ने कांग्रेस छोड़कर BJP जॉइन की। आप शिवसेना (शिंदे गुट) में चले गए। क्या आपको BJP का ऑफर था?
जवाब: किसका ऑफर था, किसका नहीं था, ये सब चीजें मैं मीडिया में क्यों बोलूं। मैं एक बात कह सकता हूं कि मुझमें क्या योग्यता है, मैं युवाओं को बता सकता हूं। राजनीति का ध्येय सत्ता में आना, चुनाव लड़ना और जीतना नहीं है। राजनीति का उद्देश्य लोगों की मदद करना है। गांधी जी कहते थे- ‘राजनीति का ध्येय जरूरतमंद इंसानों के आंसू पोछना है।’
सवाल: आप कांग्रेस में थे, तब भी उद्धव ठाकरे की पार्टी के खिलाफ लड़ रहे थे, अब शिवसेना (शिंदे गुट) में हैं, तब भी उद्धव की पार्टी के खिलाफ ही लड़ रहे हैं। आपके लिए क्या बदला है?
जवाब: ये व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है। मैं स्पीड ब्रेकर की राजनीति खत्म करने के लिए लड़ रहा हूं। मेट्रो प्रोजेक्ट को किसने रोका। किसकी वजह से चार साल की देरी हुई। टैक्सपेयर्स के 14 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
MAHARASHTRA देश का सबसे बड़ा बंदरगाह वधावन पोर्ट मुंबई के पालघर में आ रहा था। इसका विरोध भी उन्हीं लोगों ने किया। अब मोदी जी ने उसका भूमिपूजन किया है। इससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। नवी मुंबई के एयरपोर्ट की फाइल क्लियर नहीं की। दुनिया का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट महाराष्ट्र में आने वाला था, उसका भी विरोध किया।
महालक्ष्मी रेसकोर्स के लीज एग्रीमेंट को रिन्यू नहीं किया, बाद में शिंदे साहब ने किया। 300 एकड़ का पब्लिक पार्क बनाने का उन्होंने विरोध किया।
MAHARASHTRA वे धारावी रिडेवलपमेंट का विरोध कर रहे हैं। हो सकता है कि आपको किसी खास कंपनी को काम नहीं देना है, मत दीजिए। इसका विरोध तो मत कीजिए।
सवाल: धारावी के लोग कह रहे है कि हमें दूसरी जगह शिफ्ट करने की बजाय उसी जगह नए घर मिलें। क्या आप धारावी रीडेवलपमेंट प्लान में बदलाव करेंगे?
जवाब: उस प्रोजेक्ट में फिर बदलाव लाइए। किसी को इंसेंटिव और जमीन तो देनी ही होगी। विरोध की राजनीति सबसे आसान है। हर प्रोजेक्ट में यही हो रहा है। गढ़चिरौली रेड कॉरिडोर का हिस्सा था, अब वो देश का सबसे बड़ा स्टील प्लांट हब बनने जा रहा है। वहां 7 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।
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सवाल: शिवसेना (UBT) भी आरोप लगाती है महाराष्ट्र में आने वाले प्रोजेक्ट गुजरात को दे दिए। वो ऐसे प्रोजेक्ट की पूरी लिस्ट गिनाते हैं?

जवाब: अगर वे इसी तरह विरोध की राजनीति करेंगे, तो कौन आएगा महाराष्ट्र में।
सवाल: वे कहते हैं कि उद्धव ठाकरे ने दावोस जाकर कॉन्ट्रैक्ट किया था, बाद में शिंदे सरकार ने वही प्रोजेक्ट गुजरात भेज दिए?
जवाब: बिजनेसमैन और इन्वेस्टर को अच्छी सुविधाएं चाहिए। तीन साल पहले महाराष्ट्र FDI लाने वाले राज्यों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर था। आज फिर से पहले नंबर पर है। भारत में आने वाले विदेशी निवेश का 52% महाराष्ट्र में आया है।
विदेशी निवेशक तो कहीं भी जा सकते हैं, उसके पास दूसरे देश जाने के विकल्प खुले हैं। अगर वे भारत में और खासतौर से महाराष्ट्र में आ रहे हैं, तो ये बड़ी बात है। आपको माहौल बनाना होगा, ताकि इन्वेस्टर आएं।