JHARKHAND जब मनमोहन सिंह पर कोयला घोटाले का आरोप लगा
सुप्रीम कोर्ट ने CBI को ‘पिंजरे में बंद तोता’ कहा; अब दोषी मधु कोड़ा BJP में
JHARKHAND का एक ऐसा घोटाला, जिसने सियासी गलियारों में तहलका मचा दिया। ऐसा घोटाला, जिसमें CBI ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आरोपी बनाया। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को तीन साल जेल की सजा हुई। कोड़ा के चुनाव लड़ने के इरादों पर पानी फिर गया। ये कोयला घोटाला था, जो केंद्र से कांग्रेस की विदाई का कारण भी बना। इसी घोटाले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने CBI को ‘पिंजरे में बंद तोता’ कहा था।
साल 2012, जब UPA सरकार घोटालों के आरोपों से गुजर रही थी। 2जी स्पेक्ट्रम और कॉमनवेल्थ जैसे घोटालों को लेकर विपक्ष आर-पार के मूड में था। इसी बीच 22 मार्च 2012 को देश के सरकारी खातों का हिसाब-किताब रखने वाली संस्था नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी CAG ने एक रिपोर्ट जारी की।
JHARKHAND CAG ने 110 पन्नों की रिपोर्ट में बताया कि 2004 से 2009 के बीच कोयला खदानों के आवंटन में अनियमितता बरती गई है। बिना नीलामी के ही खदानों का आवंटन किया गया है। इससे सरकार को 10.7 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। CAG ने अपनी रिपोर्ट में 100 से ज्यादा कंपनियों का जिक्र किया था।
इस रिपोर्ट ने सियासी गलियारों में तहलका मचा दिया। मीडिया में इसे देश का सबसे बड़ा घोटाला बताया जाने लगा। BJP और विपक्ष को सरकार को घेरने का एक और मौका मिल गया।
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दरअसल, 2006 से 2009 के बीच कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री के पास था। इसलिए BJP सीधे तौर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कटघरे में खड़ा कर रही थी।
BJP सांसद प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला ली। उन्होंने कहा- ‘ये लूट की सरकार है। 2006 से 2009 के बीच अंधाधुंध कोयला खदानें बांटी गईं। ये सबसे बड़ा घोटाला है। 10 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा का घोटाला। प्रधानमंत्री को इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए।’
BJP नेता राजनाथ सिंह ने कहा- ‘आजादी के बाद शायद यह पहली सरकार है, जिस पर इतने गंभीर आरोप लगे हैं। भ्रष्टाचार के कारण स्थिति बद से बदतर हो गई है। प्रधानमंत्री आप स्वयं आत्मनिरीक्षण करें कि क्या करना चाहिए? यदि प्रधानमंत्री ने ईमानदारी से आत्मनिरीक्षण किया, तो इस्तीफे के अलावा कोई विकल्प नहीं है।’
ये वो वक्त था जब अन्ना आंदोलन सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन रहा था। अन्ना हजारे, अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण हर दिन सरकार पर करप्शन के आरोप मढ़ रहे थे। ऐसे में CAG की रिपोर्ट ने आग में घी डालने का काम किया।
अरविंद केजरीवाल ने कहा- ‘प्रधानमंत्री को CAG की रिपोर्ट को मानना चाहिए। यह एक संवैधानिक संस्था है। बिना किसी जांच के प्रधानमंत्री अपने सभी मंत्रियों का बचाव कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
2006-09 तक मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ कोयला मंत्री भी रहे। उन पर आरोप है कि उन्होंने बिना टेंडर निकाले कोयला खदानें औने-पौने दामों पर बेच दी। तब कोयला सेक्रेटरी पीसी पारेख ने बार-बार लिखा कि बिना नीलामी के खदानें नहीं बांटनी चाहिए।