JHARKHAND में BJP आई, तो 60% मुसलमानों को भागना पड़ेगा
JHARKHAND निशिकांत दुबे बोले- NRC लागू करेंगे, आदिवासियों से छीनी जमीन वापस दिलाएंगे
JHARKHAND ‘BJP की सरकार बनी तो 60% मुस्लिम, जो फर्जी आधार, वोटर ID और पैन कार्ड बनवाकर बस गए हैं, उन्हें झारखंड छोड़कर भागना पड़ेगा। जिन आदिवासी लड़कियों ने मुस्लिम से शादी की है, उनके बच्चों को आदिवासी का दर्जा नहीं देंगे। शादी कर आदिवासियों की जमीनें जबरन छीनी गईं, उन्हें वापस दिलाएंगे। BJP इसी एजेंडे पर काम कर रही है।’
निशिकांत दुबे झारखंड की गोड्डा लोकसभा सीट से सांसद हैं। CM हेमंत सोरेन का गढ़ कहे जाने वाले संथाल परगना में BJP को जिताने का जिम्मा इन्हीं के कंधों पर है। निशिकांत दावा करते हैं कि झारखंड की 81 सीटों में से BJP दो तिहाई सीटें जीतकर सरकार बनाने वाली है। फिर सबसे पहले यहां NRC लागू करेंगे।
JHARKHAD में 13 नवंबर को पहले फेज की वोटिंग है। उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठ, BJP में गुटबाजी, हेमंत सोरेन के जेल जाने, शिबू सोरेन के बेटे दुर्गा सोरेन को बड़ा भाई और हेमंत को दुश्मन मानने से जुड़े सवालों के जवाब दिए। पढ़िए और देखिए इंटरव्यू…
सवाल: संथाल परगना में BJP की जीत की बड़ी जवाबदेही आपके कंधों पर है। अभी पार्टी कहां खड़ी है?
जवाब: जिस जामताड़ा में हम बैठे हैं, कागज पर ये कांग्रेस की सीट दिखाई देती है, लेकिन मैं दावे से कह सकता हूं कि इस बार BJP जामताड़ा भी जीत रही है। अगर हम ये सीट जीत रहे हैं, तो इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारे पक्ष में किस तरह की लहर है और संथाल परगना में हम कितनी सीटें जीत रहे हैं।
सवाल: क्या संथाल में डेमोग्राफी चेंज हो रही है, घुसपैठिए आदिवासी गांवों पर कब्जा कर रहे हैं?
जवाब: ये तो कागज पर है। 1951 में आदिवासियों की आबादी 45% थी। 2011 में ये आबादी घटकर 28% रह गई थी। अब जनगणना होगी तब ये आबादी 24-25% के आसपास बचेगी। मुसलमानों की आबादी 1951 में 9% थी। 2011 में ये बढ़कर 24% हो गई। 1951 और 2011 दोनों ही जनगणना कांग्रेस सरकार ने कराई हैं।
ये आंकड़े तब के हैं, जब केंद्र में उनकी सरकार थी। BJP इसमें अपनी तरफ से कुछ नहीं कह रही। देश में मुस्लिमों की पॉपुलेशन 4% की दर से बढ़ी, जबकि संथाल में 15% बढ़ी है। झारखंड में विस्थापन, रोजगार और पलायन बड़ी समस्या है। यहां कई शहर ऐसे हैं, जहां पीने का साफ पानी तक नहीं है। ऐसी क्या वजह है कि मुस्लिम आबादी बढ़ गई। ये बांग्लादेशी घुसपैठिए नहीं हैं, तो कौन हैं।
सवाल: झारखंड में घुसपैठियों का बसना किसकी चूक है, केंद्र की या हेमंत सरकार की?
जवाब: 2004 से 2014 तक केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। वही एक समय था, जिसमें बंगाल के मालदा, मुर्शिदाबाद, कलियाचक, वीरभूम, बिहार के किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और झारखंड के पाकुड़, साहिबगंज, गोड्डा, जामताड़ा और दुमका जैसे जिलों की पूरी डेमोग्राफी ही बदल गई।
बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोग यहां आए। इन 10 साल में इन्होंने इतने बांग्लादेशियों को हमारे शहर और राज्य के अंदर ला दिया कि आज हम उससे जूझ रहे हैं। 2014 के बाद से यहां कोई भी घुसपैठ नहीं हुई। जो पहले आए वही बच्चे पैदा कर रहे हैं।
सवाल: अगर BJP जीती तो घुसपैठ रोकने और आदिवासी आबादी बढ़ाने के लिए क्या करेंगे?
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जवाब: सबसे पहले तो NRC लागू करेंगे। ये जो फेक वोटर कार्ड, आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाकर रह रहे हैं, ये सब निकाल बाहर कर दिए जाएंगे। यहां रहने वाली मुस्लिम पॉपुलेशन का 60% घुसपैठिए हैं। जिन आदिवासी लड़कियों ने मुसलमानों से शादी की है, उनके बच्चों को आदिवासियों का दर्जा नहीं देंगे। शादी के बाद जिन लोगों की जमीनें कब्जाई गईं, हम उन्हें वापस लौटाएंगे।
JHARKHAND जब लोगों के पास जमीनें नहीं होंगी, आदिवासी का दर्जा नहीं होगा, कोई कोटा नहीं मिलेगा, तो मुस्लिम घुसपैठिए यहां क्या करेंगे? इससे संथाल-परगना में आदिवासियों की संख्या अपने-आप बढ़ेगी। हमारा लक्ष्य होगा कि आज संथाल में आदिवासियों की जो संख्या 23-24% पर खड़ी है, वो बढ़ाकर 44 से 45% कर दी जाए।
सवाल: हेमंत सोरेन के प्रस्तावक मंडल मुर्मू को BJP में शामिल कराने की जरूरत क्यों पड़ी?
जवाब: 1776 से लेकर 1947 तक भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धो-कान्हो, तिलका मांझी जैसे आदिवासी महापुरुषों ने देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी। JMM राजनीति के लिए गुरुजी (शिबू सोरेन) की तुलना इन महापुरुषों से कर रही है।
गुरुजी का इतिहास क्या है। ये RJD के साथ सत्ता में भागीदार रहे। नरसिम्हा राव की सरकार बचाने के लिए करोड़ों रुपए लिए। अगर इनकी तुलना सिद्धो-कान्हो, चांद भैरव और फूलो झानो से करने लगें, तो कितना बड़ा कष्ट है।
JHARKHAND JMM शिबू सोरेन का कद इतना न बढ़ा दे कि महापुरुष नीचे चले जाएं। इसलिए मंडल मुर्मू हमारी तरफ आ गए। हम चुनाव जीतकर 500 करोड़ की लागत से दुमका में सिद्धो-कान्हो रिसर्च सेंटर बनाएंगे, ताकि लोगों को आदिवासी इतिहास की जानकारी मिल सके।
JHARKHAND हेमंत बलिदानी परिवार के लोगों को अपना प्रस्तावक बनाते हैं, लेकिन असल में उनके पास रहने के लिए मकान तक नहीं है। JMM को आदिवासियों की चिंता ही नहीं है। ऐसे में इन महापुरुषों की लेगसी बचाने के लिए हमारे पास मंडल मुर्मू को अपने पाले में लाने के अलावा कोई दूसरा ऑप्शन नहीं था।