BIHAR NDA की बिहार सीट शेयरिंग तय, JDU-102, BJP-101
BIHAR चिराग पासवान की पार्टी को 20 सीटें मिलीं, हम और RLSP को 10-10 सीटें; बिहार चुनाव के लिए NDA ने रणनीति को अंतिम रूप दिया।

बिहार में NDA गठबंधन की सीट शेयरिंग को लेकर तस्वीर लगभग साफ हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे के बाद विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों को लेकर गठबंधन दलों के बीच अंतिम सहमति बन गई है।
सूत्रों के मुताबिक, जनता दल यूनाइटेड (JDU) 102 और भाजपा 101 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) यानी LJP (R) को 20, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (HAM) और उपेंद्र कुशवाहा के राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को 10-10 सीटें मिली हैं।
फिलहाल सीटों के बंटवारे को लेकर आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। संभावना जताई जा रही है कि NDA जल्द ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकता है। हालांकि कौन सी पार्टी किन सीटों पर लड़ेगी, इस पर मंथन चल रहा है। इस दौरान JDU और BJP में 1-2 सीटों का अंतर हो सकता है।
इस बार भी भाजपा, जदयू से कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अब तक जो जानकारी सामने आई है, उससे इस पर मुहर भी लग रही है।
2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 110 सीटों पर लड़ी थी, उसे 74 पर जीत मिली थी। वहीं JDU 115 सीटों पर लड़ी थी और 43 सीटों पर जीती थी। सूत्रों के मुताबिक इस बार जदयू 102 और भाजपा 101 पर लड़ेंगी।
NDA में नीतीश बड़े भाई की भूमिका में
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लोकसभा चुनाव में BJP ने 17, JDU ने 16, LJP ने 5 और जीतन राम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने एक-एक सीट पर चुनाव लड़ा था।
लोकसभा चुनाव में BJP ने JDU से एक सीट ज्यादा पर चुनाव लड़ा था, लेकिन विधानसभा में JDU, BJP से एक-दो ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।
JDU की 13 और BJP की 9 सीटें घटेंगी
2020 के चुनाव से तुलना करें तो इस बार बीजेपी की 9 सीटें घट रही हैं, वहीं जदयू जो 115 सीटों पर लड़ी थी, उसे इस बार 13 सीटों पर कॉम्प्रोमाइज करना पड़ेगा। इनकी घटाई गई सीटें लोजपा और बाकी दलों में बंटेंगी।
पिछले चुनाव में NDA में चार पार्टियां ही थीं। इसमें जदयू और बीजेपी ने अपने कोटे से हम को 7 और वीआईपी को 11 सीटें दी थीं।
इस बार गठबंधन में 5 पार्टियां है, अभी तक जो फॉर्मूला सामने आया है, उसमें जदयू-बीजेपी के अलावा 3 पार्टियों के खाते में 40 सीटें जाने की खबर है।
2020 में 135 सीटों पर लड़ी लोजपा, चिराग इस बार NDA का हिस्सा
2020 का चुनाव तत्कालीन लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने अकेले लड़ा था। पार्टी ने 135 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। हालांकि एक सीट पर ही जीत मिली थी।
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लोजपा ने खासतौर से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े किए थे, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ प्रत्यक्ष रूप से नहीं लड़ा।
हालांकि जून 2021 में लोजपा में टूट हुई और पशुपति पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) बनी, जबकि चिराग की पार्टी लोजपा (रामविलास) है, जो इस बार के चुनाव में NDA का हिस्सा है।
पशुपति की पार्टी के महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की चर्चा है, हालांकि अभी घोषणा बाकी है।
2020 में तीसरे मोर्चे पर लड़े कुशवाहा अब NDA के साथ
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा), ने 99 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। लेकिन पार्टी को कोई सीट नहीं मिली।
रालोसपा ने 2020 के चुनाव में महागठबंधन (जो राजद और कांग्रेस के साथ था) को छोड़कर ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट (GDSF) बनाया था, जिसमें बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक (सजदद), और अन्य छोटी पार्टियां शामिल थीं।
इस बार कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा NDA का हिस्सा है। पार्टी को गठबंधन में 10 सीटें मिल सकती हैं।2020 में NDA के साथी सहनी अब महागठबंधन में
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के हिस्सा थी। पार्टी ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था। वीआईपी को बीजेपी ने अपनी 121 सीटों के कोटे में से 11 सीटें दी थीं। इन 11 सीटों में से वीआईपी ने 4 सीटों पर जीत हासिल की थी।
मुकेश सहनी खुद सिमरी बख्तियारपुर सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन वे हार गए थे। बाद में वीआईपी के चारों विधायक बीजेपी में शामिल हो गए।
इस बार VIP महागठबंधन का हिस्सा है। मुकेश सहनी कई बार खुद को डिप्टी CM का दावेदार बता चुके हैं। पार्टी ने 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात भी कही है।
2020 में मांझी की पार्टी 7 सीटों पर लड़ी थी
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2020 बिहार विधानसभा चुनाव में जीतन राम मांझी की पार्टी, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) (HAM), ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के हिस्से के रूप में 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
ये सीटें JDU के कोटे से दी गई थीं, क्योंकि HAM NDA का एक छोटा सहयोगी दल था। HAM ने इन 7 सीटों में से 4 सीटें जीती थीं, जो मुख्य रूप से मांझी की मुसहर (महादलित) समुदाय में पकड़ और गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद, और रोहतास जैसे क्षेत्रों में उनके प्रभाव के कारण थी।
मांझी ने NDA के साथ गठबंधन में रहते हुए नीतीश कुमार की सरकार को समर्थन दिया, और उनकी पार्टी की चार सीटों ने NDA की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2015 में HAM ने NDA के साथ 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल 1 सीट (मांझी की) जीती थी।
