HIMACHAL से इंसानी अंग ड्रोन से चंडीगढ़ पहुंचाए जाएंगे

HIMACHAL से इंसानी अंग ड्रोन से चंडीगढ़ पहुंचाए जाएंगे:अब 1 घंटा लगेगा, एंबुलेंस से 4 घंटे लगते थे; दिल्ली तक चलाने की तैयारी

 

 

 

 

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चंडीगढ़ PGI को ड्रोन मिला है। अब HIMACHAL एम्स से चंडीगढ़ PGI तक इंसानी अंग (ह्यूमन ऑर्गन) ड्रोन से लाए जा सकेंगे। नई व्यवस्था से इंसानी अंग एक घंटे में PGI पहुंच सकेंगे। अभी ड्रोन का इस्तेमाल ऋषिकेश एम्स में होता है।

पहले HIMACHAL से चंडीगढ़ ह्यूमन ऑर्गन एंबुलेंस से भेजे जाते थे, जिसमें 4 घंटे लगते थे। कई बार ट्रैफिक जाम के चलते देरी भी हो जाती थी। अब इस समस्या से निजात मिल जाएगी। ड्रोन को दिल्ली तक चलाने की भी व्यवस्था की जा रही है।

 

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ड्रोन 5 किलो तक वजन उठा सकता है

चंडीगढ़ PGI को मिला ड्रोन 18 किलो का है और 5 किलो तक वजन उठा सकता है। यह एक घंटे में 100 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। इसे रिमोट कंट्रोल से कंट्रोल किया जा सकता है। इसमें GPS भी लगा है जिससे इसे सैटेलाइट की मदद से ट्रैक किया जा सकता है। ड्रोन 4 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ेगा, जिससे किसी पक्षी से टकराने की आशंका कम होगी। इसमें लोकेशन को सेट कर नियत जगह पर पहुंचाया जा सकता है।

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ग्रीन कॉरिडोर की जरूरत नहीं पड़ेगी

चंडीगढ़ PGI के टेलीमेडिसिन विभाग के डॉ. बीमन साइकिया के अनुसार, पहले PGI को ऑर्गन लाने और भेजने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाना पड़ता था। इसमें ट्रैफिक पुलिस से संपर्क कर विशेष स्थान तक जाने का रूट क्लियर कराना होता था। इसके बाद भी कभी-कभी ऑर्गन पहुंचने में देरी होती थी।

अब ड्रोन से डिलीवरी होने पर ग्रीन कॉरिडोर बनाने की कोई जरूरत नहीं होगी। ड्रोन की मदद से सीधे ऑर्गन लाए लेजाए जा सकेंगे।चंडीगढ़ PGI में ड्रोन का इस्तेमाल इमरजेंसी में ही किया जाएगा।

एक बार की फुल बैटरी में 100 किमी तक उड़ेगा

​​​​​​​​​​​​​​डॉ. साइकिया का कहना है कि PGI के सबसे नजदीक हिमाचल का बिलासपुर एम्स है। PGI में दवाओं और ऑर्गन्स का आदान-प्रदान ज्यादातर वहीं से होता है। यह ड्रोन एक बार की फुल बैटरी से 100 किलोमीटर तक उड़ सकता है। दूरी के हिसाब से इसमें ज्यादा या कम क्षमता की बैटरी भी इस्तेमाल की जा सकती है। हमारी योजना है कि इमरजेंसी में ड्रोन से दिल्ली एम्स के सामान मंगाया जा सके। इसके लिए हम चंडीगढ़ और दिल्ली के बीच में छोटा सा सब-स्टेशन स्थापित करेंगे।

सब-स्टेशन पर ड्रोन को रिसीव कर उसकी बैटरी को बदला जाएगा और आगे के लिए उसके टारगेट की ओर रवाना कर दिया जाएगा।

 

 

 

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कैसे काम करेगा ड्रोन डॉ. साइकिया बताते हैं कि इस ड्रोन का इस्तेमाल केवल इमरजेंसी में ही किया जाएगा। जब PGI को किसी दवाई या ह्यूमन ऑर्गन की विशेष जरूरत होगी, तब इसे इस्तेमाल किया जाएगा। इसका संचालन रिमोट कंट्रोल से होगा। ड्रोन में GPS लगा है इससे इसे ट्रैक किया जाएगा।

रिमोट से संचालन के लिए PGI में एक अलग कंट्रोल रूम बनाया जाएगा। यहीं से इसे ऑपरेट किया जाएगा। इसमें GPS के जरिए लोकेशन सेट कर यहां से उड़ाया जाएगा। ड्रोन की यात्रा को सैटेलाइट के जरिए ट्रैक किया जाएगा, और रिसीविंग स्टेशन पर पहुंचने के बाद वहां मौजूद ऑपरेटर से कन्फर्म भी करेंगे।

आसपास के अस्पतालों में भी इस्तेमाल करेंगे डॉ. बीमन ने बताया कि चंडीगढ़ के आसपास के अस्पतालों से ऑर्गन लाने में भी ड्रोन इस्तेमाल किया जा सकेगा। अभी फोर्टिस और मैक्स जैसे बड़े अस्पतालों से ऑर्गन लाने में 40 से 50 मिनट लग जाते हैं, लेकिन ड्रोन के जरिए चंद मिनट ही लगेंगे।

PGI में सबसे ज्यादा लिवर, हार्ट और किडनी की जरूरत रहती है। इन्हें ड्रोन से लाने में काफी समय बचेगा। अभी ड्रोन का केवल ट्रायल किया गया है।

 

 

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