JHARKHAND जीशान सिद्दीकी बोले- पापा का मर्डर पुलिस का फेलियर

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JHARKHAND पता नहीं लॉरेंस का हाथ है या नहीं; शिवसेना सेक्युलर नहीं, इसलिए कांग्रेस छोड़ी

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JHARKHAND   ‘12 अक्टूबर से पहले जो मेरी जिंदगी थी, और अब जो जिंदगी होगी, उसमें हमेशा बहुत फर्क होगा। मुझे लगता है कि उस रात मेरी उम्र 20-25 साल बढ़ गई। पहले लगता था कि कुछ भी हो जाए, पापा मेरे पीछे हैं। अब तो सब खुद ही संभालना है।’

पिता को याद करते हुए जीशान सिद्दीकी कई बार भावुक हो जाते हैं। जीशान NCP लीडर बाबा सिद्दीकी के बेटे हैं, जिनकी 12 अक्टूबर को मुंबई के बांद्रा में हत्या कर दी गई थी। तीन शूटर्स ने बाबा सिद्दीकी को जीशान के ऑफिस के बाहर गोलियां मारी थीं। उस वक्त जीशान कुछ दूर ही मौजूद थे। इस घटना की जिम्मेदारी लॉरेंस गैंग ने ली है।

पिता के मर्डर के बाद जीशान ने कांग्रेस छोड़कर NCP (अजित पवार गुट) जॉइन कर ली। वे बांद्रा ईस्ट से चुनाव लड़ रहे हैं। जीशान अभी इसी सीट से विधायक हैं।

सवाल: कुछ दिन पहले आपने पापा को खोया है। अब बांद्रा ईस्ट से चुनाव लड़ रहे हैं। आपके लिए क्या बदला है?

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जवाब: ये शब्दों में बयां करना मुश्किल है कि ये वक्त कैसे बीत रहा है। कभी सपने में नहीं सोचा था कि ये वक्त आएगा। मुझे नहीं लगता कि कोई भी बेटा-बेटी ऐसा सोचते भी हैं कि वालिद-वालिदा कोई नहीं रहेगा। पप्पा से मेरा रिश्ता बहुत ही करीबी था। चुनाव का वक्त है, लेकिन वे यादों में हैं।

मुझे पता है कि पापा भी यही चाहते होंगे कि कोई भी लड़ाई अधूरी नहीं छोड़ी जानी चाहिए। मैं अपने लोगों के लिए आज भी लड़ रहा हूं।

सवाल: 12 अक्टूबर का दिन आप पीछे मुड़कर देखते हैं, तो क्या याद आता है, उस दिन क्या हुआ था?

जवाब: मैं और पापा मेरे दफ्तर में बैठे थे। आमतौर पर वे मेरे दफ्तर नहीं आते थे। 5 साल में सिर्फ 15 बार आए होंगे। उनका अलग दफ्तर है। वे वहीं बैठते थे। चुनाव आने वाले थे, तो हम इसके बारे में बात कर रहे थे कि क्या करना है।

JHARKHAND   मैं मेरे केबिन में था और वे चैंबर में बैठे थे। मैंने उनसे कुछ देर बात की, फिर वे नमाज पढ़ने चले गए। मुझे भूख लगी थी, तो मैं पास के एक रेस्तरां में चला गया। मैंने वहां इडली खानी शुरू की, तभी मेरे साथी ने चिल्लाकर कहा कि बाबा भाई पर फायरिंग हुई है। मुझे कुछ समझ नहीं आया। मैं चप्पलें उतारकर नाश्ता कर रहा था। बिना चप्पल के ही भागा।

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पता चला कि पापा को लीलावती हॉस्पिटल ले गए हैं। वहां जाकर देखा कि पापा का ट्रीटमेंट चल रहा है। मैंने मां और बहन को कॉल किया। तभी डॉक्टर ने बताया कि पापा नहीं रहे।

सवाल: आपके पिता को Y+ सिक्योरिटी मिली थी। बांद्रा जैसे हाईप्रोफाइल इलाके में उनकी हत्या कर दी गई। आपको नहीं लगता ये महाराष्ट्र और केंद्र सरकार दोनों का फेलियर है?

जवाब: जो भी हो, कमी हो, न हो; इस चीज की भरपाई जिंदगीभर नहीं हो सकती। आप मुझे ऑप्शन दोगे कि प्रधानमंत्री बन जाओ या पापा को वापस ले आओ, मैं तो यही कहूंगा कि पापा को वापस कर दो।

मैं बस यही चाहता हूं कि मैं और मेरे परिवार पर जो गुजरा, गुजर रहा है और काफी वक्त तक गुजरेगा, वो किसी और पर न गुजरे। हम दुश्मनों के लिए भी ऐसा नहीं सोचते। इतने बड़े हादसे के बाद अब भी मुझे लगता है कि उस दिन इडली खाने न गया होता, तो शायद ऐसा न होता।

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सवाल: क्या आपके पिता की हत्या महाराष्ट्र पुलिस का भी फेलियर है?

जवाब: मैं कभी ये कहने से नहीं झिझकूंगा कि ये पुलिस का फेलियर है। ये पूरी तरह से इंटेलिजेंस फेलियर है। मुंबई पुलिस का फेलियर है। ये सवाल मैंने पुलिस से भी पूछे हैं। कुल तीन गोलियां चलीं। इस पूरे वाकये के दौरान पापा के गार्ड्स क्या कर रहे थे, ये सबसे बड़ा सवाल है। क्या उनसे बंदूक नहीं निकाली गई।

मैं हॉस्पिटल पहुंचा तो मैंने उनसे पूछा कि आप लोग क्या कर रहे थे। उन्होंने जवाब दिया कि हमें कुछ समझ नहीं आया। समझ नहीं आया का क्या मतलब होता है।

5-6 दिन मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा था। इसके बाद मैंने सवाल पूछने शुरू किए। हत्यारों ने कैसे रेकी की, क्या मुझे और पापा दोनों को मारने का इरादा था। मैंने ये भी पूछा कि अगर दोनों को मारने का इरादा था, तो दोनों को क्यों नहीं मारा गया।

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JHARKHAND  इस मुश्किल वक्त में भी अजित पवार जी ने साथ दिया है। रात 2 बजे वे मेरे घर आए, मेरी मम्मी से मिलकर उन्हें समझाया।

सवाल: आपके पिता की हत्या में लॉरेंस गैंग का नाम आ रहा है, क्या आपको भी यही लगता है। कोई पुरानी रंजिश तो नहीं है?

जवाब: लॉरेंस का हाथ है या नहीं, मैं नहीं जानता। ये मुंबई पुलिस ही बता पाएगी। पापा को हॉस्पिटल लेकर जा रहे थे और पापा जब भर्ती भी नहीं हुए थे, तभी लॉरेंस का एंगल मीडिया पर चल रहा था।

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मैंने भी पुलिस से पूछा कि सब ये कह रहे हैं। अगर आपकी पहले से इंटेलिजेंस है, तो ये अटैक कैसे हो गया। मुझे, मेरी मां और बहन को जो शक है, वो हमने मुंबई पुलिस को बताया है।

कुछ दिन पहले मेरे ऑफिस के मोबाइल पर किसी का मैसेज आया था। लिखा था कि किसी ने ऐसा सुना है कि कोई धमकाने की प्लानिंग कर रहा है। मैंने इस बारे में भी मुंबई पुलिस को बताया है।

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