वक्फ कानून के खिलाफ उकसाया गया प्रदर्शन, हिंसा से पहले मीटिंग, अंसार बांग्ला पर शक
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ कानून के विरोध में भड़की हिंसा ने अब अंतरराष्ट्रीय साजिश की आशंका को जन्म दे दिया है। खुफिया एजेंसियों के इनपुट और पुलिस जांच में सामने आया है कि इस हिंसा के पीछे बांग्लादेशी घुसपैठियों और कट्टरपंथी संगठनों की संभावित भूमिका हो सकती है।
वक्फ कानून बना हिंसा की जड़?
8 अप्रैल 2025 को केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के खिलाफ पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। मुर्शिदाबाद में यह प्रदर्शन अचानक हिंसक हो गया। उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव किया, सरकारी वाहनों को आग के हवाले कर दिया और रेलवे ट्रैक को बाधित किया।
बांग्लादेशी लिंक और संदिग्ध मीटिंग्स
पुलिस सूत्रों के अनुसार, हिंसा से पहले कुछ सीमावर्ती गांवों में गुप्त मीटिंग्स हुईं। इन बैठकों में कुछ ऐसे संदिग्धों की पहचान हुई है जिनका संबंध अंसार बांग्ला टीम जैसे बांग्लादेशी कट्टरपंथी संगठनों से हो सकता है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि स्थानीय युवाओं को पैसे और भड़काऊ विचारों के ज़रिए उकसाया गया।
विपक्ष ने उठाए सवाल
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस हिंसा को “पूर्व नियोजित साजिश” बताया और NIA जांच की मांग की। उन्होंने कहा:
‘बंगाल में कट्टरपंथियों को शरण दी जा रही है। मुर्शिदाबाद की हिंसा किसी स्थानीय असंतोष का नतीजा नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की चाल है।’
ममता सरकार की सफाई
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हिंसा किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वक्फ संशोधन अधिनियम को राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। सरकार ने फिलहाल प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिए हैं और संवेदनशील इलाकों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित की गई हैं।
जांच जारी, एजेंसियां सतर्क
केंद्रीय और राज्य स्तरीय खुफिया एजेंसियां अब इस बात की जांच कर रही हैं कि क्या मुर्शिदाबाद में फैली हिंसा वाकई एक अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा थी। अंसार बांग्ला और एसडीपीआई जैसे संगठनों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है
निष्कर्ष:
मुर्शिदाबाद की घटना से एक बार फिर बंगाल की सीमा पार सुरक्षा और कट्टरपंथी संगठनों की घुसपैठ पर सवाल उठने लगे हैं। क्या यह सिर्फ एक कानून के खिलाफ असंतोष था या पर्दे के पीछे कोई गहरी साजिश है — इसका जवाब आने वाले दिनों में जांच से साफ होगा।